उत्तर गुजरात के महेसाणा जिले में स्थित एक छोटे से गांव वडनगर में सितंबर, 1950 को श्री नरेन्द्र मोदी का जन्म हुआ|
1967 में उन्होंने गुजरात के बाढ़ पीड़ितों की सेवा की थी।
भारत के सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास पर ध्यान केन्द्रित करने वाले संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन (आरएसएस) से उन्होंने 1958 में शुरुआत की और निःस्वार्थता, सामाजिक जवाबदारी, समर्पण एवं राष्ट्रवाद की भावना को आत्मसात किया।
आरएसएस में अपने कार्यकाल के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 महीने (जून 1975 से जनवरी 1977) की दीर्घावधि तक रहे भयंकर ‘आपातकाल’ के वक्त अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई। इस पूरे समयकाल के दौरान भूमिगत रहते हुए मोदी जी ने गुप्त तरीके से केन्द्र सरकार की फासीवादी नीतियों के खिलाफ जोशीले अंदाज में जंग छेड़ते हुए लोकतंत्र की भावना को जीवित रखा।
1987 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर उन्होंने राजनीति की मुख्य धारा में प्रवेश किया। एक वर्ष के भीतर ही उन्हें पार्टी की गुजरात इकाई का महामंत्री नियुक्त किया गया।उन्होंने सच्चे अर्थों में पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के चुनौतीपूर्ण कार्य का बीड़ा उठाया, जिसकी वजह से पार्टी को राजनीतिक लाभ मिलना शुरू हो गया और अप्रैल, 1990 में केन्द्र में गठबंधन सरकार अस्तित्व में आई। यह राजनीतिक गठबंधन कुछ महीनों के अंतराल के बाद टूट गया|
श्री मोदी को दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय घटनाओं के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई। एक, श्री लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की लंबी रथयात्रा (1990) और दूसरी, देश के दक्षिणी छोर पर स्थित कन्याकुमारी से उत्तर में कश्मीर तक मुरली मनोहर जोशी की यात्रा।
1995 में भाजपा अपने दम पर गुजरात में दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता हासिल करने में सफल रही।
1995 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया और देश के पांच महत्वपूर्ण राज्यों की जिम्मेवारी सौंपी गई, जो किसी भी युवा नेता के लिए बड़ी उपलब्धि की बात थी। 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) के पद पर पदोन्नत किया गया।
अक्टूबर, 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी नियुक्त हुआ| 7 अक्टूबर, 2001 को जब श्री मोदी ने शपथ ग्रहण की, तब गुजरात जनवरी, 2001 में आए विनाशक भूकंप सहित अन्य कई प्राकृतिक आपदाओं के विपरीत प्रभावों से गुजर रहा था। श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतिकूल परिस्थितयों को किस तरह सर्वांगी विकास के अवसरों में तब्दील कर दिया, भुज शहर ( भूकंप में नाश हो गया शहर ) उसका जीता-जागता सबूत है।
गोध्रा दंगें के ऊपर मोदी की भाषण - गुजराती बाषा में श्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वांगीण सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त तरीके से सामाजिक क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रीत कर राज्य के सर्वांगी विकास के लिए पांच सूत्रीय रणनीति- पंचामृत योजना की परिकल्पना की।
अपनी प्रशासनिक सूझबूझ, सपष्ट दूरदर्शिता और चारित्र्य के अखंडता सहित उनकी इन सभी कुशलताओं की वजह से दिसम्बर 2002 के आम चुनावों में भव्य विजय हासिल की और मोदी सरकार 182 सीटों वाली विधानसभा में 128 सीटें जीतकर भारी बहुमत के साथ चुन ली गई। 2007 के चुनावों में भी फिर से एक बार श्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा को भारी बहुमत मिला।
भारतीय जनता पार्टी ने 2014(२०१४) चुनाव का प्रचार समिति का अध्यक्ष पद मोदीजीको दिय। कुछ दिन बाद मोदीजीको प्रधान मंत्री प्रत्यासी घोषित किया गय। भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमन्त्री प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद नरेन्द्र मोदी ने पूरे भारत का भ्रमण किया। देश में 437 बड़ी चुनावी रैलियाँ समेत कुल 5827 कार्यक्रम किये। एक अद्भुत चुनाव प्रचार कार्यक्रम लाखों कार्यकर्तोंकी मदत लेकर मोदीजीने चलय। नतीजा
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के चुनावों में अभूतपूर्व सफलता भी प्राप्त की। चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 336 सीटें जीतकर सबसे बड़े संसदीय दल के रूप में उभरा और अकेले भारतीय जनता पार्टी ने 282 सीटों पर विजय प्राप्त की।
20 मई 2014 को संसद भवन में बैठक में नरेन्द्र भाई मोदी को सर्वसम्मति से भाजपा संसदीय दल और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का नेता चुना गया। नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन गये।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनका स्वागत किया और भारी बहुमत से विजयी होने की बधाई भी दी। राष्ट्रपति ने नरेन्द्र मोदी को भारत का 15वाँ प्रधानमन्त्री नियुक्त किय।
नरेन्द्र मोदी ने सोमवार 26 मई, 2014 को शाम 6 बजे प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली।
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नरेंद्र मोदी बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हुए थे. 1958 में दीपावली के दिन गुजरात आरएसएस के पहले प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव इनामदार उर्फ वकील साहब ने नरेंद्र मोदी को बाल स्वयंसेवक की शपथ दिलवाई थी. मोदी आरएसएस की शाखाओं में जाने लगे. लेकिन जब मोदी ने चाय की दुकान खोली तो शाखाओं में उनका आना जाना कम हो गया. बाद में मोदीको प्रचारकों के लिए चाय-नाश्ता बनाने का काम मिला|
गुजरात आरएसएस के दफ्तर हेडगेवार भवन में सुबह नरेंद्र मोदी प्रचारकों के लिए चाय नाश्ता बनाते थे. इसके बाद हेडगेवार भवन के सारे कमरों की सफाई में जुट जाते थे. आठ नौ कमरों की सफाई के बाद अपने और वकील साहब के कपड़े धोने की बारी आती थी.
नरेंद्र मोदी बहुत मेहनती कार्यकर्ता थे. आरएसएस के बड़े शिविरों के आयोजन में वो अपने मैनेजमेंट का कमाल भी दिखाते थे. आरएसएस नेताओं का ट्रेन और बस में रिजर्वेशन का जिम्मा उन्हीं के पास होता था. इतना ही नहीं गुजरात के हेडगेवार भवन में आने वाली हर चिट्ठी को खोलने का काम भी नरेंद्र मोदी को ही करना होता था.
नरेंद्र मोदी का मैनेजमेंट और उनके काम करने के तरीके को देखने के बाद आरएसएस में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला लिया गया. इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय कार्यालय नागपुर में एक महीने के विशेष ट्रेनिंग कैंप में बुलाया गया.
राजनीतिक जीवन
1974 में देश के प्रसिद्ध सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) के स्वयं सेवक के रूप में उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की। यहीं उन्हें निस्वार्थता, सामाजिक दायित्वबोध, समर्पण और देशभक्ति के विचारों को आत्म सात करने का अवसर मिला। अपने संघ कार्य के दौरान नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। फिर चाहे वह 1974 में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ चलाया गया आंदोलन हो, या 19 महीने (जून 1975 से जनवरी 1977) चला अत्यंत प्रताडि़त करने वाला ‘आपात काल’ हो।
भाजपा में प्रवेश
1987 में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) में प्रवेश कर उन्होंने राजनीति की मुख्यधारा में क़दम रखा। सिर्फ़ एक साल के भीतर ही उनको गुजरात इकाई के प्रदेश महामंत्री (जनरल सेक्रेटरी) के रूप में पदोन्नत कर दिया गया। तब तक उन्होंने एक अत्यंत ही कार्यक्षम व्यवस्थापक के रूप में प्रतिष्ठा हासिल कर ली थी। पार्टी को संगठित कर उसमें नई शक्ति का संचार करने का चुनौतीपूर्ण काम भी उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस दौरान पार्टी को राजनीतिक गति प्राप्त होती गई और अप्रैल, 1990 में केन्द्र में साझा सरकार का गठन हुआ। हालांकि यह गठबंधन कुछ ही महीनो तक चला, लेकिन 1995 में भाजपा अपने ही बलबूते पर गुजरात में दो तिहाई बहुमत हासिल कर सत्ता में आई।
व्यक्तित्व नरेन्द्र मोदी
नरेन्द्र मोदी की छवि एक कठोर प्रशासक और कड़े अनुशासन के आग्रही की मानी जाती है, लेकिन साथ ही अपने भीतर वे मृदुता एवं सामर्थ्य की अपार क्षमता भी संजोये हुए हैं। नरेन्द्र मोदी को शिक्षा-व्यवस्था में पूरा विश्वास है। एक ऐसी शिक्षा-व्यवस्था जो मनुष्य के आंतरिक विकास और उन्नति का माध्यम बने एवं समाज को अँधेरे, मायूसी और ग़रीबी के विषचक्र से मुक्ति दिलाये। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नरेन्द्र मोदी की गहरी दिलचस्पी है। उन्होंने गुजरात को ई-गवर्न्ड राज्य बना दिया है और प्रौद्योगिकी के कई नवोन्मेषी प्रयोग सुनिश्चित किये हैं। ‘स्वागत ऑनलाइन’ और ‘टेलि फरियाद’ जैसे नवीनतम प्रयासों से ई-पारदर्शिता आई है, जिसमें आम नागरिक सीधा प्रशासन के उच्चतम कार्यालय का संपर्क कर सकता है। जनशक्ति में अखण्ड विश्वास रखने वाले नरेन्द्र मोदी ने बखूबी क़रीब पाँच लाख कर्मचारियों की मज़बूत टीम की रचना की है। नरेन्द्र मोदी यथार्थवादी होने के साथ ही आदर्शवादी भी हैं। उनमें आशावाद कूटकूट कर भरा है। उनकी हमेशा एक उदात्त धारणा रही है कि असफलता नहीं, बल्कि उदेश्य का अनुदात्त होना अपराध है। वे मानते हैं कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए स्पष्ट दृष्टि, उद्देश्य या लक्ष्य का परिज्ञान और कठोर अध्यवसाय अत्यंत ही आवश्यक गुण हैं।
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